अंगूर की खेती से कमाए लाखो रुपए

अंगूर की खेती कैसे करें पूरी जानकारी

भारत में अंगूर को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है खाने में भी बहुत पसंद किया जाता है और इसका एक्सपोर्ट भी जैसे कि यूरोप कंट्री अरब कंट्री हो इसका बहुत ज्यादा एक्सपर्ट भारत से किया जाता है भारत में प्रोडक्शन भी बहुत अच्छा होता है ख़ासकर महाराष्ट्र नासिक कर्नाटक एमपी गुजरात इन सभी राज्यो मे अंगूर की खेती बहुत अच्छे तरीके से की जाती है

 

 

अंगूर कहां लगाया जाता है

 

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महाराष्ट्र गुजरात कर्नाटक मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा सूटेबल टेंपरेचर होता है अंगूर के खेती के लिए इसलिए यहां काफी मात्रा में अंगूर की खेती किया जाता है नॉर्थ इंडियन जगह में नहीं लगा सकते क्योंकि वहां चल काफी ज्यादा होती है वहां पर अंगूर खराब हो जाएगा और अंगूर की ग्रोथ भी नहीं हो पाएगी इसलिए वहां खेती करना मुश्किल होता है

अंगूर का सीजन

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अंगूर को एक सटन तपमान बहुत पसंद होता है तो इसीलिए इसका कटिंग जून से आगे होता है सितंबर अगस्त नवंबर इसी टाइम पर कटिंग किया जाता है और कटिंग के बाद इसके ऊपर माल लगता है मार्च फरवरी-मार्च में इसका हार्वेस्टिंग बहुत तेजी से आता है

अंगूर की अच्छी किस्में

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कैबरनेट सोविन्यॉन: यह वाइन ग्रेप्स की सबसे प्रसिद्ध और पसंदीदा वाराइटी में से एक है, जिससे गहरे और मजबूत लाल वाइन बनता है।

मर्लो: यह भी एक लोकप्रिय रेड वाइन ग्रेप्स है जिससे अच्छी गुणवत्ता वाले वाइन बनता है।

पिनो न्वार: यह लाल वाइन ग्रेप्स का एक प्रसिद्ध प्रकार है जो आरामदायक और लघुशीर्षक वाइन उत्पन्न करता है।

शिराज: यह लाल वाइन ग्रेप्स का प्रसिद्ध प्रकार है जो अधिकतर फलस्वरूप एक लाल वाइन के रूप में पाया जाता है।

सोविन्यॉन ब्लैंक: यह वाइन ग्रेप्स की सबसे प्रसिद्ध सफेद वाराइटी में से एक है, जिससे सुंदर सफेद वाइन बनता है।

अंगूर की खेती के लिए महत्त्वपूर्ण बाते

बीज का चयन: अंगूर की खेती के लिए उचित ग्रेप वाइन वराइटी का चयन करना चाहिए

भूमि और मिट्टी: अंगूर के पौधों के लिए योग्य और ड्रेनेज के साथ भरपूर मिट्टी की आवश्यकता होती है।

पौधों की बुआई: बीजों को अच्छे से बोएं और उन्हें पौधों की उचित दूरी और खाद्य पूर्णता पर रखें।

सिंचाई: पौधों को नियमित रूप से सिंचाई करें, खासकर गर्मियों में।

खाद्य प्रबंधन: अंगूर के पौधों को उपयुक्त खाद्य सप्लाई करें, ताकि वे स्वस्थ और प्रफुल्लित रहें।

रोग और कीट प्रबंधन: पौधों को संरक्षित रखने के लिए उचित रोग और कीट प्रबंधन करें।

प्रुनिंग और ट्रेनिंग: पौधों की सही दिशा में प्रूनिंग करें और उन्हें सही तरीके से ट्रेन करें, ताकि वे सही आकार और फल प्रदर्शन कर सकें।

पोलिनेशन: कुछ अंगूर वारियटीज आत्म-पोलिनेशन करती हैं, लेकिन कुछ को पोलिनेशन की आवश्यकता होती है।

हर्वेस्टिंग: अंगूर के फलों को सही समय पर पकाएं और कट लें।

बाजार और बेचाई: अंगूर की उचित मूल्य में बेचने के लिए बाजार की निगरानी करें और बेचाई की योजना बनाएं।

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नोट :- आप जिस भी तरह की खेती करना चाहते हैं या जिस भी बीज का इस्तेमाल करना चाहते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी अपने आसपास के कृषि केंद्र में जाकर अवश्य लें।

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