अरहर की खेती कैसे करे पुरी जानकारी // arhar ki kheti kaise kare

अरहर की खेती

अरहर की खेती  हमारे देश की प्रमुख फसल है जिसे खरीफ सीजन में उगाया जाता है अरहर की खेती और सिंचित और कम उपजाऊ भूमि पर भी सफलतापूर्वक कर सकते हैं अरहर एक तिलहनी फसल है जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है

 अरहर तुवर और दिल अलग अलग बोलचाल की भाषा पर अरहर को अलग-अलग नाम से जाना जाता है यह कम लागत वाली फसल है इसमें कम खाद आवश्यकता पड़ती है क्या आपको पता है कि अरहर की जड़ों पर राइजोबियम की गांठ बन जाती है जोकि नाइट्रोजन की पूर्ति ऑटोमेटिक कर देती है जिससे उर्वरक खाद की कम आवश्यकता पड़ती है

WhatsApp Image 2023 07 06 at 12.27.04 PM 1 HindiGyan.Net अरहर की खेती कैसे करे पुरी जानकारी // arhar ki kheti kaise kare

अनुकूल समय timing

हर एक फसल के लिए अनुकूल समय का होना बहुत जरूरी होता है यदि आप हमें पर बुवाई करते हैं तो आप की पैदावार बहुत अच्छी मिलने वाली है  हमारे देश की प्रमुख फसल है जिसे खरीफ सीजन में उगाया जाता है  के लिए अनुकूल समय जून से लेकर जुलाई के मध्य आप बुवाई कर सकते हैं 

भूमि और खेत की तैयारी

हल्की भूमि बलुई दोमट काली तोमर और सभी प्रकार की मिट्टी में आप अरहर की खेती कर सकते हैं और जहां पर भूमिका मर जाऊं होती है जहां सिंचाई के साधन अच्छे नहीं होते हैं वहां पर ही अरहर की खेती बहुत ज्यादा की जाती है लेकिन आप कमर्शियल तरीके से वैज्ञानिक तरीके से अरहर की खेती करते हैं तो शानदार पैदावार देखने के लिए मिलती है

 जहां पर अरहर का उत्पादन घट रहा है जो किसान लगातार अरहल की खेती  करते थे वह कहीं ना कहीं डायरेक्ट हो रहे हैं दूसरी खेती की ओर तो कहीं ना कहीं अरहर की खेती का उत्पादन घट रहा है आप सभी प्रकार की भूमि पर अरहर की खेती कर सकते हैं

सिंचित और असिंचित

अगर आप की भूमि काली मिट्टी और दोमट मिट्टी है तो अरहर की खेती मैं अच्छी पैदावार देखने को मिल जाती हैं अगर आपको आगे चलकर कम उर्वरक खाद का इस्तेमाल करना पड़े तो इसके लिए आपको मृदा की pH वैल्यू = 5.5 / 7.5 तो आपको मृदा की पीएच वैल्यू हटाने के लिए = जिप्सम / 50 kg खेत की तैयारी करते समय बुवाई करते समय 50 किलो ग्राम जिप्सम का प्रयोग कर दीजिए यदि सल्फर की मात्रा होती है

 और सल्फर की पूर्ति करते हैं जो मृदा का पीएच वैल्यू कम होगी तो अरहर की पैदावार बढ़ जाएगी और जिस पर बहुत ही सस्ता होता है और अच्छा होता है और मृदा की पीएच वैल्यू = 5.0 / 6.5 तक रहनी चाहिए अरहर की फसल के लिए इतना ही मृदा का पीएच वैल्यू होना चाहिए

सिंचाई प्रबंध

उत्तम जल निकास प्रबंध होना चाहिए

इस बात का आपको खास ध्यान रखना चाहिए यदि खेत में पानी भरता है तो बैर बनाइए और इस जल निकास का प्रबंध होना चाहिए खेत तारबंदी होना चाहिए खेत में पानी नही भरा रहना चाहिए

जलवायु tempreture

अरहर की फसल शुष्क आद्र जलवायु की फसल होती है अरहर की खेती के लिए औसत टेंपरेचर लगती है 15:18°c से 35 : 38 ° c तक सेल्सियस के आसपास टेंपरेचर काफी अनुकूल और उचित माना जाता है

उन्नतशील किस्में

भारत में अरहर की सैकड़ों वैरायटी आती है हम आपको 7 8 किस्मों के नाम बताएंगे यह भारत मैहर में अच्छी पैदावार देने वाली किस्मों में से एक है सबसे अच्छा उत्पादन इन तीनों में से निकाला जा सकता है

    • नरेंद्र अरहर – 1

    • नरेंद्र अरहर – 2

    • आजाद अरहल

    • IPA – 203

    • IPA – 206

    • बहार अरहल

    • पूसा – 9

प्रति एकड़ seeds

1 एकड़ में आप बुवाई कर रहे हो तो 8 किलोग्राम से लेकर 10 किलोग्राम बीज लगती है इससे ज्यादा आपको बुवाई नहीं करनी चाहिए

बीज उपचार

बीज उपचार करने से जड़ काफी मजबूत होते हैं इसके लिए आप एफबीआई पद्धति का इस्तेमाल करें इस पद्धति से जड़ों में काफी विकास होता है और इसमें फंगस नहीं लगते हैं राइजोबियम की गाठे वह अच्छे से विकास कर पाते हैं जितना आप पौधों को खरपतवार नियंत्रण रखोगे तो आप की पैदावार बढ़ सकती है

बेसल डोज 

अरहल की खेती  की बुवाई के समय सबसे जरूरी खास बेसर डोज होता है उसे देने से पहले बेड तैयार करना बहुत जरूरी है बेड की चौड़ाई 2.5 फीट होनी चाहिए और बेड से बेड की दूरी 5/ 6 फिट होनी चाहिए और बेड की उचाई = 1 फिट रखनी चाहिए

बेसल डोज मैं गोबर की खाद 3 ट्रॉली अच्छी सी पक्की होनी चाहिए और एसएसपी हाल 1000 किलोग्राम regent दानेदार 5 किलोग्राम होनी चाहिए अरहर की खेती में दिमाग काफी ज्यादा होती है इसके लिए यह खास पौधों की रक्षा करेगा

Sowing method

1 सीड ड्रिल विधि
2 छिड़का विधि
3 बेड विधि

अनुकूल राज्य

अधिक उत्पादक राज्य जहां अरहर की खेती बहुत ज्यादा की जाती है महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश कर्नाटक मध्य प्रदेश गुजरात आंध्र प्रदेश इन प्रदेशों में अरहर की खेती अधिक मात्रा में की जाती है

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