कपास की खेती कैसे करें । kapas ki kheti ।

कपास की खेती cotton farming

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कपास को वाइट गोल्ड भी कहा जाता है और यह खेती पूरे देश में फैली हुई है बहुत कम लोग को पता होगा कि पूरी दुनिया के मुकाबले हमारे भारत को ही कॉटन कल्टीवेशन एरिया 35 परसेंट है और साथ ही हमारा देश 22 परसेंट के साथ पूरी दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन का प्रड्यूसर भी है और इतनी बातें जनने के बाद आपके मन में एक सवाल आ ही चुका होगा कि आखिर कॉटन आता कहां पर है और इसकी खेती कैसे होती है

कपास क्या है What is cotton

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कपास एक नकदी फसल है यह खरीफ फसल होता है और इससे भारत में ज्यादा उगाया जाता है कपास को सफेद सोना भी कहा जाता है कपास हमारे जीवन के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पौधा होता है जो लगभग 5000 सालों से मनुष्य कपास के रेशे से वस्त्र बनाता आ रहा है और उसे पहनता है इसलिए सबसे ज्यादा कपास के रेशे का प्रयोग वस्त्र बनाने के लिए किया जाता है 

क्योंकि कपास से बने हुए वस्त्र अन्य पदार्थों से बने वस्त्रों की तुलना में काफी अच्छे और उत्तम और टिकाऊ होते हैं कपास का वैज्ञानिक नाम गैसीपियम है और कपास में गर्मियों के मौसम में फूल लगते हैं

कपास की विकसित किस्मे (Developed Varieties of Cotton)

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वर्तमान समय में बाजार में कपास की कई विकसित किस्मे देखने को मिलती है, यह सभी किस्मे अलग – अलग श्रेणियों में रक्खी गयी है | कपास के रेशो के आधार पर इनकी किस्मो को अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है | रेशो के आधार पर इन्हे तीन भागो में बांटा गया है | जिनकी जानकारी इस प्रकार दी गई है:-

(1) छोटे रेशें वाली कपास (Short Fiber Cotton)

(2) मध्यम रेशें वाली कपास (Medium Fiber Cotton)

(3) बड़े रेशेदार कपास (Large Fibrous Cotton)

छोटे रेशें वाली कपास (Short Fiber Cotton)

इस किस्म के कपास की रेशें 3.5 सेंटीमीटर से भी कम लम्बे होते है | यह उत्तर भारत में अधिक उगाई जाने वाली किस्म है यह असम, हरियाणा, राजस्थान, त्रिपुरा, मणिपुर, आन्ध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मेघालय में अधिक उगाई जाती है | उत्पादन की बात करे तो कपास के कुल उत्पादन का 15% उत्पादन इस राज्यों से होता है |

मध्यम रेशें वाली कपास (Medium Fiber Cotton)

इस श्रेणी में आने वाले कपास के रेशों की लम्बाई 3.5 से 5 सेंटीमीटर के मध्य होती है | यह कपास की मिश्रित श्रेणी में आता है, इस तरह की किस्म का उत्पादन भारत के लगभग हर हिस्से में होता है | इस तरह के कपास का उत्पादन का लगभग 45% हिस्सा उत्पादित होता है |

बड़े रेशेदार कपास (Large Fibrous Cotton)

कपास की श्रेणियों में इस कपास को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, इस कपास के रेशे की लम्बाई 5 सेंटीमीटर से अधिक होती है | यह रेशा उच्च कोटि के कपड़ो को तैयार करने में उपयोग होता है | यह किस्म भारत में दूसरे नंबर पर उगाई जाती है, तटीय हिस्सों में इसकी खेती को मुख्य रूप से किया जाता है, इसलिए यह समुद्री द्वीपीय कपास भी कहलाता है | कपास के कुल उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 40% तक की होती है |

कपास की खेती के लिए समय time for cotton cultivation

सबसे पहले तो आप यह बात समझ लीजिए कि कॉटन फार्मिंग के लिए हमारे देश में सबसे अच्छा मौसम कौन सा होता है तो इसलिए हमारे देश में मार्च से मई के बीच में कपास की खेती की बीज बोइ जाती है कपास की खेती को पूरी तरह से उगने में और बढ़ने में 7 से 8 महीने का टाइम लगता है और बीज बोने के लिए शाम का समय सबसे माना जाता हैं

और इसी टाइम में किसान को बहुत मेहनत करनी पड़ती है और कपास की खेती का बहुत ख्याल भी रखना पड़ता है अगर एक भी चूक होती है तो पूरी फसल को खराब कर सकती है

कपास की खेती का प्रोसीजर process of cotton cultivation

सबसे पहले कपास की खेती करने के लिए खेत की जुताई कराई जाती है और उसके बाद उस एरिया को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है

फिर दूसरे स्टेट में गोबर की खाद डालकर दो से तीन बार फिर से जुताई करवाई जाती है जिसकी वजह से गोबर और खास मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाती है कॉटन की खेती के लिए सही मिट्टी का चुनना भी बहुत जरूरी होता है इसलिए कपास की खेती के लिए काली मिट्टी अच्छी मानी जाती है जो पानी को अच्छी तरह से अब्जॉर्ब करें

गोबर को मिट्टी से अच्छी तरह मिलाने के बाद खेत में पानी डाला जाता है और सिर्फ खेत का पानी अच्छी तरह सूखने के बाद फिर से जुताई की जाती है ऐसा करने से खेत में लगने वाले सभी विट निकल जाते हैं
और जुताई के बाद एक बार फिर से खेत में पानी डाला जाता है अब जमीन सूख जाने के बाद खेत में फर्टिलाइजर डालकर खेत की जुताई करके पाटा लगा कर फिर से जुताई की जाती है

बीज बोने का प्रोसेस seed sowing process

ऐसा माना जाता है कि कपास के बीज लगाने का काम शाम के वक्त सबसे सही होता है इस बात पर काफी ध्यान दिया जाता है कि कपास के बीजों को खेत में लगाने से पहले उन्हें मेडिकेट किया जाए इसकी वजह से बीजों में लगने वाले कीड़े का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है इसके लिए carbosulfan और imidacloprid इन्हे कीड़े मरने के लिए यूज़ किया जाता है और इसके बाद ही बीज लगाया जाता है

और यह बात यह ध्यान देने लायक है अगर यह बीज हमारे भारत से है तो इसे खेत में लगाते समय दो लाइन के बीच 40 सेंटीमीटर का गेप किया जाता है ताकि दोनो पौधे अच्छी तरह से ग्रो हो सकें
अगर वही अमेरिकन किस्मों के बीज हो तो इसमें दो लाइंस के बीच 50 से 60 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है

आपको बता दें कि कपास लंबी दूरी तक फैलने वाले पौधे होते हैं इसलिए 1 बीघा खेत मे 450 ग्राम बीज लगाए जाते है इसी के साथ इन बीजो को लगाते समय एक और बात का खास ध्यान रखा जाता है इन बीजो को गलती से भी मिट्टी के ज्यादा अंदर तक न लगा दिया जाए अगर ऐसा होता है तो इन बीजो को बाहर निकालने मे काफी मुसीबतो का सामना करना पढ़ता है

कपास की खेती में जब फुल लगने वाले हो तो बीट पर जयदा ध्यान देना चाहिए उस समय कई तरह की बीट आ जाती है जिसमे कई प्रकार कीड़े जन्म लेते है और इन्ही कीडो की वजह से पौधे मे कई तरह की बीमारिया हो जाती है जिससे पुरा खेत खराब हो सकता है इन सभी के लिए विट कंट्रोल पर ध्यान देना चाहिए

कपास की खेती मे लगने वाले कीड़े खत्म करने के उपाय Measures to eliminate insects in cotton cultivation

कपास की खेती को कीडो से बचाने के लिए समय समय पर होने वाले विट को हटाते रहना चाहिए खेत मे बीज लगाने के 25 दिन बाद से इस काम को शुरू कर देना चाहिए इससे पौधों के ग्रोथ मे किसी प्रकार की रुकावट नही आती है

कीड़े के द्वारा लगने वाले रोग हटाने के लिए monocrotophos 36%sl की उचित मात्र मे छिड़काओ करने से इन रोगो से बचाओ किया जा सकता हैं

कपास की खेती के लिए पानी की जरूरत Water requirement for cotton cultivation

कपास की खेती मे यह अच्छी बात है की इसमे पानी की जरूरत ज्यादा नही पढ़ती है अगर बारिश के मौसम मे इसकी खेती की जाए तो इसे पहली सिचांई की जरूरत नहीं पढ़ती है और अगर खेती बारिश के मौसम मे नही की गई तो 45 दिन बाद सिचांई की जाती है क्युकी कपास के पौधे धूप मे जयदा अच्छे से ग्रो करते है इसलिए सिचांई करने के बाद जरूरत पढ़ने पर ही इनकी दुबारा इरेगेसन की जाती है

पौधों मे फुल लगने के बाद खेत मे नमी की अपतिमम नमी बनी रहनी चाहिए जिससे पौधे के फुल झाड़ते नही है और जयदा पानी भी नही देना चाहिए

इससे फूलों का खराब होने का खतरा बढ़ जाता है जब यह फुल से टिंडे बनने लगे तो हर 15 दिन में पानी देखते रहना चाहिए जिससे टिंडे आकार बड़ा होते रहता है और आउटपुट भी ज्यादा मिलता है

कपास की खेती के लाभ Benefits of cotton farming

कपास की खेती के प्रमुख कृषि उद्योग है जो पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए कई लाभ पहुंचाता है कपास की खेती के कई लाभ होते हैं

1 स्थिरता : कपास एक नवीकरणीय संसाधन होता है जिससे मिट्टी आंचल संशोधन को कम किए बिना उगाया जा सकता है क्योंकि कपास की खेती में मिट्टी की कार्बनिक पदार्थ हटाकर मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करती है

2 क्षमता : कपास उगाने के लिए एक बहुत ही कुशल फसल होता है जिससे कई अन्य फसलों की तुलना में कम स्थान और पानी की सहायता से उगाया जा सकता है और इससे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है

3 विविधता : कॉटन एक बहुमुखी फसल होता है उसका उपयोग कपड़ों घरेलू वस्त्रों और औद्योगिक उत्पादन सहित विभिन्न प्रकार के उत्पादन को बनाने के लिए किया जाता है यह विविधता रोजगार सृजन करने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करती है

4 रोजगार के लिए : दुनियाभर में लाखों लोगों के लिए कपास की खेती आय का एक मुख्य स्रोत है यह किसानों , कपड़ा श्रमिकों और कपास उद्योग का समर्थन करने वाले अन्य उद्योगों के लिए रोजगार प्रदान करता है

5 पर्यावरण के लिए लाभ : कपास की खेती से वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके वायु की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलती है और यह ड्रिप सिंचाई और अन्य जल बचत तकनीकों का उपयोग करके जल संरक्षण में भी मदद कर सकते हैं

5 आर्थिक विकास में लाभ : कपास की खेती से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलती है या किसानों को आएगा एक तो सिर्फ रोड प्रदान करता है जो उसके जीवन स्तर को सुधारने और गरीबी को कम करने के लिए मदद करते हैं

कपास की खेती एक टिकाऊ और कुशल फसल होता है जो पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को कई तरह से लाभ प्रदान कराती है यह एक बहुत ही मूल्यवान फसल होती है जो हमारे समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और कपास की खेती किसानों के लिए आय का एक स्रोत है जिससे उनकी गरीबी को कम करने में मदद मिलती है

कपास की खेती की हानि Disadvantages of cotton cultivation

1 कीटनाशक का उपयोग : कपास दुनिया की सबसे अधिक छिड़काव वाली फसल में से एक है जिससे किसान कीटों को नियंत्रण करने के लिए बड़ी मात्रा में कीटनाशकों का उपयोग करते हैं यह कीटनाशक जल मार्गों को प्रदूषित कर सकते हैं और वन में रहने वाले जीव को नुकसान पहुंचाते हैं कीड़ों से बचाने के लिए कपास की खेती में बहुत बड़ी मात्रा में कीटनाशक का उपयोग किया जाता है

2 मिट्टी का कटाव : कपास की खेती से मिट्टी का छरण हो सकता है चौकी पौधों में अक्सर मोनोकल्चर में उगाए जाते हैं जिससे का मतलब होता है कि वह सालों साल एक ही खेत मे लगाए जाते है जिससे विविधता की यह कमी मिट्टी को कटाओ के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती है

2 बाल श्रमिक : कपास की खेती को अक्सर बाल श्रमिक से जोड़ा जाता है क्योंकि बच्चों को अक्सर अपने परिवारों को गुजारा करने में मदद करने के लिए कपास चुनने के लिए नियोजित किया जाता है जिससे बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के जोखिम से के साथ साथ उनकी शिक्षा पर भी प्रभाव पड़ता है

4 कम मजदूरी : कपास की खेती से किसानों को कम मजदूरी मिलती है जिससे उनके लिए जीवन जीना बहुत मुश्किल हो जाता है इससे गरीबी और सामाजिक अशांति पैदा हो सकती है

नोट :- आप जिस भी तरह की खेती करना चाहते हैं या जिस भी बीज का इस्तेमाल करना चाहते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी अपने आसपास के कृषि केंद्र में जाकर अवश्य लें।

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