जैविक खेती क्या है
जैविक खेती को अंग्रेजी में ऑर्गेनिक फार्मिंग कहा जाता है जैविक खेती यानी जीवो पर आधारित खेती नेचुरल खेती देसी खेती यह सारे शब्द एक दूसरे के आसपास ही घूमते हैं जैविक खेती को देसी खेती का आधुनिक तरीका भी कहा जा सकता है जिसमें प्रकृति एवं पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखते हुए खेती की जाती है।
इस प्रकार की खेती में रासायनिक खाद, कीटनाशकों का उपयोग ना कर के खेत में गोबर की खाद, कंपोस्ट, जीवाणु खाद, फसल अवशेष, फसल चक्र और प्रकृति में उपलब्ध खनिज द्वारा पौधों को पोषण तत्व दिया जाता है।
फसलों को प्रवृत्ति में मौजूद मित्र कीड़ों जीवाणु और जैविक कीटनाशकों द्वारा हानिकारक कीटों रथा बीमारियों से बचाया जाता है।
परिचय
देश में आजादी के समय खेती में पैदावार कम होने के कारण अनाज विदेशों से लाया जाता था लेकिन जनसंख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ अनाज की कमी और बढ़ने लगी इस साल 1967 68 से देश में हरित क्रांति का दौर चालू हो गया इसके बारे में आप सभी जानते ही होंगे आधुनिक तकनीक हाइब्रिड बीज खाद उर्वरकों के उपयोग से भारत में फिर से अनाज की पैदावार बढ़ने लगी इस इस बीच भारत में अनाज उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई
वहीं से रसायनिक खादों का प्रयोग रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग शुरू हो गया लोग अधिक से अधिक अनाज उगाने के लिए रासायनिक चीजों का प्रयोग करने लगे जिससे उनकी खेती में वृद्धि हो सके तथा अनाज की पैदावार अधिक हो सके जिसका दुष्परिणाम भी सामने आने लगा उसकी वजह से भूमि बंजर होने लगी मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी आने लगी मिट्टी में पाए जाने वाले अनेक उपयोगी जीवाणु खत्म होने लगे और देश के किसानों ने कैंसर जैसे घातक बीमारियों को आमंत्रण दे दिया इसका दुरुपयोग मानव और पशुओं के अलावा पर्यावरण पर भी बहुत ज्यादा पढ़ने लगा
इसलिए मानव एवं पर्यावरण को बचाए रखने और मिट्टी के उर्वरक शक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खेती अब बहुत आवश्यक हो गई है जैविक खेती देसी और टिकाऊ खेती का एक प्रमुख घटक है जिसका उद्देश्य रसायनों का प्रयोग ना करके जैविक तरीके से खेती करना है।
जैविक खेती के लिए आवश्यक घटक कौन-कौन से हैं :-
जैविक खेती के लिए गोबर गोमूत्र गोबर की खाद गोबर गैस की सैलरी का खाद के रूप में प्रयोग किया जाता है किसान गोबर की मदद से उच्च गुणवत्ता युक्त खाद्य तैयार कर सकते हैं।
गोबर खाद के अलावा तरल जीवामृत, धन जीवामृत, बीजाम़त पंचगव्य मटका खाद, घर पर तैयार करके मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ उपज में भी वृद्धि की जा सकती है।
• Vermicompost ( केंचुआ खाद)
केंचुआ खाद का उपयोग भी बहुत फायदेमंद साबित होता है अभी उपयोग करके जैविक खेती की जा सकती है तथा अपने पैदावार में वृद्धि की जा सकती है।
• गोमूत्र + वनस्पतियां (जैविक कीटनाशक)
मोटर और कुछ वनस्पतियों की पत्तियों से एक उच्च कोटि का कीटनाशक भी तैयार किया जाता है जैसे कि नीमस्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नियास्त्र, दशपर्णी अर्क इनका प्रयोग हानिकारक कीटों को फसलों से दूर रखता है।
• छात्र + तांबा जैविक (फफूंद नाशक)
छात्र और तांबे से जैविक फफूंद नाशक भी बना सकते हैं कुछ पौधों की पत्तियां फूल से बना सकते हैं जैसे कि पुष्प रसायन टॉनिक
• तिलहन, दलहन से माइक्रोन्यूट्रेंस
तिलहन दलहन के बीजों माइक्रोन्यूट्रेंस को गोमूत्र या वेस्ट डिस्पोजल में गला कर बना सकते हैं।
• फसल अवशेष, फसल चक्र, हरी खाद
गोमूत्र के अलावा फसल चक्र को अपनाकर अवशेषों को विघटित करके हाथ के रूप में परिवर्तित करके हरी खाद का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करके आवश्यक तत्वों की पूर्ति के साथ-साथ मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ा सकते हैं।
जैव उर्वरक क्या है
गोरख में कुछ जीवाणु कल्चर सोते हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन मिट्टी में फिक्स पड़े पोषक तत्व को पौधों को उपलब्ध कराने का कार्य करते हैं जैसे कि राइजोबियम, एजोटोबेक्टर, एसीटोबेक्टर, एजोस्पिरिलम, नील हरित शैवाल, एजोला, फास्फोरस विलायक जीवाणु
ऐसी और भी कई विधियां हैं जिनका उपयोग करके किसान रसायनिक चीजों को कम से कम उपयोग करके जैविक खेती कर सकते हैं।
जैविक खेती से होने वाले फायदे
• मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि :- जैविक खेती से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होती है यानी कि मिट्टी की भौतिक दशा में सुधार होता है।
• पानी की खपत में कमी पानी की बचत :– पानी की खपत में कमी आती है जिससे सिंचाई अंतराल में वृद्धि होने होने से पानी की बचत भी होगी
• कम लागत अधिक मुनाफा :– रसायनिक खादो एवं दवाइयों के ऊपर निर्भरता कम होगी जिससे किसानों को मुनाफा अधिक होगा वह उनका खर्च जैविक खेती से कम होगा क्योंकि जैविक खेती में उपयोग किए जाने वाले ज्यादातर वस्तु घर पर ही उपलब्ध रहते हैं।
• फसलों की उपज एवं गुणवत्ता मे वृद्धि :- जैविक खेती से फसलों की उत्पादकता में एवं गुणवत्ता में वृद्धि होती है क्योंकि जैविक खेती के कारण भूमि की गुणवत्ता बनी रहती है तथा भूमि में उपलब्ध लाभकारी जीवाणु को इससे कोई नुकसान नहीं होता
• भूमि की जल धारण क्षमता एवं जल स्तर में वृद्धि :- इसे भूमि की जल धारण क्षमता भी बढ़ती है और पानी का वाष्पीकरण भी बढ़ता है।
• भूमि हवा प्रदूषण पर रोक :- जैविक खेती के कारण खेतों में रासायनिक खाद एवं दवाइयों तथा कीटनाशकों का छिड़काव नहीं किया जाता जिसे कारण हवा में भी प्रदूषण कम होता है।
कचरे एवं अन्य अन्य पौधों के अवशेष का उपयोग खाद के रूप में ही किया जाता है पर्यावरण में होने वाले दुष्परिणाम से भी बचा जाता है
• पशुपालन को बढ़ावा :- खेती पशु पर आधारित होने के कारण पशुओं की वृद्धि होगी लोगों को जैविक खेती करने के लिए पशुओं की आवश्यकता होगी जैसे पशुपालन में वृद्धि होगी
जैविक खेती या नहीं ऐसी खेती जिसमें लंबे समय तक स्थिर उपज प्राप्त करने एवं भूमि को बंजर होने से बचाए रखने के लिए रसायनिक खाद दवाइयों ना करते हुए गोबर गोमूत्र एवं शिवांशु एवं जीवाणु युक्त खादो का प्रयोग किया जाता है जिससे मानव पशुओं के सांसद पर्यावरण मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बनी रहती है।
आपके द्वारा पूछे गए कुछ सवाल
प्रश्न :- (1) जैविक खेती के प्रकार ( types of organic frning in hindi)
उत्तर :- 1. एकीकृत जैविक कृषि
2 . शुद्ध जैविक कृषि
3. मिश्रित कृषि
प्रश्न :-(2) जैविक कृषि के जनक कौन हैं
उत्तर :- खेती के जनक अल्बर्ट हावर्ड हैं
प्रश्न :- (3) सबसे ज्यादा जैविक खेती किस राज्य में होती है।
उत्तर :- सिक्किम पूर्ण जैविक राज्य है सबसे ज्यादा जैविक खेती की जाती है
प्रश्न :- (4) कौन सा देश जैविक खेती करता है ?
उत्तर :- अमेरिका फ्रांस और जर्मनी के बाद चीन में जैविक खेती बहुत प्रचलित है।
प्रश्न :- (5) भारत में कितने जैविक राज्य हैं ?
उत्तर :- भारत में सिक्किम पहला 100℅जैविक राज्य है।
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