प्याज की खेती कब और कैसे करे पुरी जानकारी । Pyaj ki kheti Full information

प्याज की खेती

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प्याज भारत के एक लोकप्रिय सब्जी है जिसे दुनिया के कई हिस्सों में उगाया जाता है विटामिन सी और के का एक अच्छा स्रोत होता है और इन्हें कच्चा पका कर या आचार बना कर खाया जा सकता है प्याज की खेती बहुत ही ज्यादा लाभदायक व्यवसाय होता है लेकिन अपनी जलवायु के लिए प्याज को सही चित्र का चयन करना होता है और खेती के अच्छे तरीकों का पालन करना बहुत जरूरी होता है

प्याज का उत्पादन 5 राज्यों में सबसे ज्यादा किया जाता है भारत चाइना एजेप्त अमेरिका ईरान उत्पादन की दृष्टि से भारत दूसरे नंबर पर आता है

भारत जिन पांच राज्यों में प्याज का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है वह इस प्रकार है महाराष्ट्र मध्य प्रदेश कर्नाटक गुजरात बिहार आदि

इन सभी बातों से यह स्पष्ट होता है कि प्याज की खेती भारत में बड़े स्तर पर होती है और दूसरे किसान भाइयों के लिए प्याज की फसल आमदनी का एक बड़ा स्रोत है ।

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1 ) प्याज की खेती कब करे
2) मिट्टी और तापमान
3) खेत तैयार
4) नर्सरी तैयार और सवधानिया
5) उन्नत किस्म
6) प्रति हेक्टेयर बीच की आवश्यकता
7) मखानी की आवश्यकता
8) पौधे से पौधे की दूरी
9) खाद शेड्यूल्स
10) फंगस कीट समाधान
11) खरपतवार नियंत्रण
12) देखभाल और भंडारण

 

 

प्याज की खेती

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किसान कुछ महत्वपूर्ण कृषि क्रियाओं के लिए ध्यान में रखकर और उनको उपयोग में लाकर प्याज की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि अच्छी पैदावार के लिए खेती के उन्नत अभी नीति और उन्नत किस्मों की जानकारी का होना आवश्यक है जिससे कि किसानों को अधिक उत्पादन प्राप्त हो सके

1) प्याज की खेती कब करें

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प्याज की खेती आप दो मौसम पर कर सकते हैं एक रवि के मौसम और दूसरा खरीफ के मौसम पर कर सकते हैं

खरीफ

खरीद के मौसम पर आप नर्सरी तैयार 15 जून से 15 जुलाई तक कर सकते हैं और इसकी रोपाई नर्सरी तैयार होने के 40 से 45 दिन बाद इसका उपाय कर सकते हैं जैसे अगस्त सितंबर अक्टूबर के प्रारंभिक सप्ताह में रोपाई कर सकते हैं

रबी

आप नर्सरी तैयार नवंबर दिसंबर में कर सकते हैं और रोपाई 40 से 45 दिन के बाद मतलब जनवरी-फरवरी के प्रारंभिक सप्ताह में ही रोपाई करें

2) मिट्टी और तापमान

प्याज की खेती आप सभी प्रकार की मिट्टी में कर सकते हैं प्याज की अधिकतम उपज के लिए जीवंसित उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी ही सबसे उपयुक्त होती है अधिक अम्लीय और क्षारीय भूमि में प्याज का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है इस प्रकार की मिट्टी में पौधों का विकास ठीक से नहीं हो पाता है इसके लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 होना चाहिए और टेंपरेचर की बात करेंगे तो 30 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान 10 से 12 घंटे सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है प्याज की खेती के प्रति कूल जलवायु ना मिलने पर उपज का भारी प्रभाव पड़ता है

3) खेत की तैयारी

खेत की अच्छी पैदावार के लिए खेत के चार से पांच बार अच्छे से जुताई करनी चाहिए इसके बाद लाओ कल्टीवेटर से और सुंदर और साफ सुथरा कर लेना चाहिए इसके लिए आप छोटी-छोटी कैरिओं में भी डिवाइड कर सकते हैं इससे सिंचाई करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है

4) नर्सरी तैयार एवं सावधानियां

जब आप कैरिया बनाते हैं तो तो आप उसे थोड़ा ऊंची बनाएं ऊंची उठी रहना चाहिए और इसी में बीज की बुवाई करें कैरी ओं की तैयारी लगभग एक से डेढ़ मीटर और लंबाई अपनी सुविधानुसार है एक हेक्टेयर रोपाई के लिए लगभग आपको 70 कैरिय पर्याप्त होती है रोगों से बचाने के लिए और पौधों को मिट्टी या कवकनाशी आदि से उसको फिट कर लेंगे

 जब बीज को नर्सरी में डालते हैं दोस्तों 4 से 5 सेंटीमीटर की दूरी पर पर डाले जिससे वह बहुत अच्छा ग्रोथ करता है 20 को डालने के बाद ऊपर तो उसमें हल्की-हल्की कंपोस्ट गोबर की खाद बीज को पूरा ढक देना चाहिए इसके बाद हल्की सिंचाई करके कैरियर को सूखे धान के पैरा से उसे ढक देना चाहिए जब बीज अच्छे से अंकुरित हो जाता है तो पैरा को बीच से हटा देना चाहिए और रोज हल्की हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए इस प्रकार से खरीफ मे 5 से 6 सप्ताह तथा रवि में 7 से 8 सप्ताह पौधे रोपाई के लायक तैयार हो जाते हैं

5 ) उन्नत किस्म

रवि के मौसम में आप नासिक रेट पुन रेड अर्क कल्याण आदि ऐसे बहुत सारे किस में है और खरीफ मौसम में डार्क रेड बसंत अर्क लालिमा आदि यैसे अपने हिसाब से जो आपके एरिया में चलन है आप उसका चयन कर सकते हैं जैसे लाल रंग की बीज किस्म में आती हैं आप अपने एरिया के हिसाब से अपना चयन करें
प्याज के सफेद रंग वाली किस्मे में भी आती है

6) प्रति हेक्टेयर बीच की आवश्यकता

बीज की मात्रा रवि में प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए आप 8 से 10 किलो की आवश्यकता होती है और जब कि खरीफ में 15 से 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की आवश्यकता होती है

7) पानी की आवश्यकता

पौधे के रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए और सर्दी में सिंचाई 8 से 10 दिन के अंतर पर करते हैं और गर्मी में हर सप्ताह सिंचाई करनी चाहिए जिस समय कंद पढ़ रहे होते हैं उसमें सिंचाई जल्दी करनी चाहिए क्योंकि पानी की कमी के कारण कंद अच्छे से नहीं बढ़ पाते हैं जिसके कारण पैदावार में कमी हो जाती है

8) पौधे की रोपाई

पौधे की रोपाई किस प्रकार से की जाती है पहला सीजन पीस डालकर इसका उपयोग बलोई मिट्टी में करते हैं दूसरा गाठो से प्याज लगाना प्याज के गानों को अप्रैल-मई में लगाई जाती है और तीसरा बीज से पौधे लगाना नर्सरी के द्वारा पौधे तैयार कर लेते हैं फिर लगाया जाता है जिसके द्वारा प्याज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है

9) खाद्य शेड्यूल्स

प्याज के अधिक उत्पादन के लिए सड़ी हुई गोबर के खाद को 20 से 30 दिन रोपाई से पहले देकर मिट्टी में अच्छे से तरह से मिला देना चाहिए खेत की जुताई करते समय खेतों में फास्फोरस तथा नाइट्रोजन और पोटाश की पूरी मात्रा डालना चाहिए

10 ) फंगस कीट समाधान

खाद और उर्वरक ओ की मात्रा इस प्रकार जैसे की सड़ी हुई गोबर 300 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

नाइट्रोजन 100 से 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

फास्फोरस 50 से 7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

पोटाश 60 से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर

11 ) खरपतवार नियंत्रण

प्याज के पौधे के जड़े अधिक गहराई तक जाती है इसलिए कुड़ाई अधिक गहराई तक करनी चाहिए अच्छी फसल के लिए 3 से 4 बार खरपतवार निकालना आवश्यक होता है आप खरपतवार नाशी का भी उपयोग कर सकते हैं खरपतवार नाशक दवा डालने के बाद जो 40 से 45 दिन बाद भी निंदाइ कोड़ाई आवश्यक है

खरीफ फसल को तैयार होने में 5 महीने लग जाते हैं क्योंकि कंद नवंबर में तैयार हो जाता है उस समय तापमान काफी कम होता है पौधे पूरी तरह सूख नहीं पाते इसलिए जैसे ही कंद अपने आकार का हो जाए और गोरे रंग का हो जाए तो खुदाई के 10 दिन पहले से सिंचाई बंद कर देनी चाहिए इसके कंद ठोस हो जाते हैं तथा उनके वृद्धि रुक जाती है

नोट :- आप जिस भी तरह की खेती करना चाहते हैं या जिस भी बीज का इस्तेमाल करना चाहते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी अपने आसपास के कृषि केंद्र में जाकर अवश्य लें।

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