मशरुम की खेती कैसे करे, कब करे,और लागत की पूरी जानकारी हिंदी में |

मशरुम की खेती

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भारत एक कृषि प्रधान देश है आए दिन खेती को आसान बनाने के लिए नई टेक्नोलॉजी लाई जा रही हैं और आजकल लोग खेती के लिए नई नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सर पर लाखों करोड़ों की कमाई कर रहे हैं और इन्हीं में से एक है मशरूम की खेती यह बहुत फायदेमंद साबित होता है कई बार तो किसान इससे करते करोड़पति तक बन जाते हैं तो आप भी मशरूम की खेती करते करोड़पति बन सकते हैं तो चलिए आपको मशरूम की खेती कैसे की जाती है यह जानकारी देते हैं

मशरूम क्या होता है

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मशरूम एक तरह का पौधा है पर फिर भी उसे मांस की तरह देखा जाता है लोगों के मुताबिक यह शाकाहारी पौधा नहीं होता है आपको बता दें कि इसमें ज्यादा क्वांटिटी में प्रोटीन और पोषक तत्व मौजूद होते हैं जैसे कि Vitamin D यह फफूंद से बनता है और अगर इसकी सेप की बात करें तो इसका से छतरी के आकार की होती है

मशरूम की खेती कैसे होती हैं

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मशरुम की खेती के लिए ठंडी जगह का होना बहुत आवश्यक है मशरूम उगाने के लिए अक्टूबर से फरवरी का टाइम सबसे अच्छा होता है मशरूम कॉल रवि के सीजन में उगाया जाता है रूम के लिए 22 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान और 80 से 85% नमी की जरूरत होती है

मशरूम उगाने की तैयारी

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मशरूम की खेती के लिए कमरे की जरूरत होती है मशरूम की खेती करने के लिए 2 स्टेप होते हैं

1 :- खाद्य बनाना

इसके लिए कंपोस्ट खाद की जरूरत होती है जिसे पहले तैयार किया जाता है खाट को बनाने के लिए भूसे wheat straw या फिर खाने की भूसे paddy straw का इस्तेमाल किया जाता है इसके लिए भूसे को कीटाणु रहित बनाना होता है ताकि इसमें की मौजूद अशुद्धियां

यानी कि प्रायोरिटी दूर हो जाए ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि मशरूम की फसल को उगने में कोई प्रॉब्लम ना आए और और इसके पौधे की ग्रोथ में और क्वालिटी में कोई फर्क ना पड़े

कैसे बनाया जाता है खाद?

हाथ बनाने के लिए कम से कम 15 साल लीटर पानी में डेढ़ सौ किलोग्राम Formalin और डेढ़ सौ ग्राम babystin मिलाया जाता है इन दोनों को अच्छे से मिक्स किया जाता है इसके बाद उस पानी में 150 किलोग्राम भूसा डाल कर अच्छे से मिलाया जाता है इसके बाद इसे कुछ टाइम के लिए ढक कर रखा जाता है इसके बाद यह खाद मशरूम उगाने के लिए तैयार हो जाती है

2 :- मशरूम की बुआई

पहले स्टेप को पूरा करने के बाद से बाहर में पूरा फैला लिया जाता है ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि जो खाद में पानी है हवा की वजह से थोड़ा सा कम हो जाए हवा में सुखाने के बाद खाद में से कम से कम 50% पानी सूख जाता है इसके बाद उसे आने की खाद को बार-बार पलटा जाता है

 ताकि यह बुवाई करने के लिए एकदम रेडी हो जाए उसके बाद 16/ 18 का एक पॉलिथीन लेकर परते बनाकर रूम के बीच मे इसे टांगे जाते हैं और परते बनाकर ही इसमें बीच डाले जाते हैं मशरूम के लिए जिन बीजों का इस्तेमाल किया जाता है वह ज्यादा पुराने नहीं होने चाहिए 

सादे विसकन पोस्ट खास के वजन से 2 से ढाई परसेंट होने चाहिए 100 किलोग्राम कंपोस्ट खाद में 2 किलो 20 डाला जाता है जैसे कि भूसा रखा जाता है उसके ऊपर मशरूम के बीच रखे जाते हैं और इसी तरह से तीन से चार लेयर बनाई जाती है 

उसके लिए 2 से 3 सेंटीमीटर खाद की परतें मोटी होनी चाहिए यह परते डालने के बाद यह बैग के नीचे दोनों कोनों में छेद कर लिया जाता है यह छेद इसलिए किया जाता है ताकि बचा हुआ पानी निकल जाए 

इसके बाद बैंक कसकर बांध लिया जाता है ताकि कहीं से भी हवा की कोई गुंजाइश ना रहे नीचे दिए गए 26 सिर्फ इसलिए किए जाते हैं ताकि पानी निकल सके लेकिन उन्हें खाद पीना भी बहुत जरूरी होती है इसलिए उसे हवा से दूर रखा जाता है इसके बीज या भूसे का रेशियो हर एक परत में बराबर होना जरूरी है ज्यादातर मशरूम की खेती इसी तरह से की जाती है जबकि और एस्ट्रल मशरूम में मिक्स करने की तकनीक इस्तेमाल होता है 

यानी कि इसमें कोई लेयर नहीं बनाई जाती है बस ऐसे ही भूखी और बीजों में मिक्स करके बनाया जाता है मशरूम का प्लांटेशन पूरा हो जाता है उसके बाद पॉलिथीन बैग में अच्छे कर लिया जाता है ताकि मशरूम के पौधे बाहर निकल सके इसके अलावा इन पौधों को बिल्कुल हवा नहीं लगने देनी जाती है कम से कम 15 दिन तक इस फसल को हवा लगने से बचाना होता है इस वजह से मशरूम की फसल पूरी तरह से कमरे में बंद कर दिया जाता है

 जिस कमरे में mushroom की इस फसल को बंद किया जाता है उस कमरे की नमी का खास ध्यान रखना भी जरूरी है नवमी को बनाए रखने के लिए दीवारों पर पानी का छिड़काव किया जाता है जिस कमरे में मशरूम की खेती की जाती है उस कमरे की नमी लगभग 70 डिग्री होने चाहिए साथ ही उस कमरे की टेंपरेचर पर काफी ध्यान दिया जाता है 

आपको बता दें कि मशरूम की फसल अच्छे से उगाने के लिए लगभग 20 से 30 डिग्री का टेंपरेचर ठीक रहता है इसके अलावा जिस कमरे में मशरूम की खेती की जाती है वह कैमरा ऐसा होना चाहिए जहां अच्छे से रोशनी आ सके और रोशनी नहीं आ पाती है तो कमरे में बल्फ लगाकर रोशनी की व्यवस्था सी जाती है कमरे में मशरूम की खेती करते वक्त मशरूम को एक अलग तरीके की कमरे में रखा जाता है

  मशरूम के पैकेट को या तो किसी लकड़ी या रस्सी की मदद से बांधकर ऊपर लटका दिया जाता है या तो इसके लिए लकड़ी का पलंग तैयार किया जाता है जिसमें जाल बनाए जाते हैं और उसके ऊपर पॉकेट को रखा जाता है और लगभग 15 दिन के बाद इस कमरे को खुला छोड़ दिया जाता है 

और फिर पंखे का इंतजाम कर दिया जाता है और हवा लगने के बाद मशरूम की फसल सफेद रंग की नजर आती है लगभग 30 से 40 दिनों के अंदर मशरूम की पूरी फसल तैयार होकर करने लायक हो जाती है इतने दिनों के बाद आसानी से इसमें फल दिखने लग जाते हैं

आपको बता दें कि मशरूम की खेती की कटाई के लिए किसी भी प्रकार के टूर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि हाथ तोड़ दिया जाता है क्योंकि इससे मशरूम में इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है बस फसल को हाथ से तोड़कर ही इसे मार्केट में भेज दिया जाता है मशरूम तोड़ने के बाद जब तक इसे बाजार में नहीं बेचा जाता तब तक उन्हें ठंडी जगह में रखा जाता है

 मशरूम को स्टोर करने के लिए 5 से 8 सेंटीग्रेड के टेंपरेचर पर रखा जाता है ज्यादा दिनों तक मशरूम को रखने के लिए नमक के घोल में भी रखा जाता है और फिर कुछ समय बाद से भेज दिया जाता है

मशरूम का इस्तेमाल कहां कहां किया जाता है ?

मशरूम की मांग की जगह पर होती है इसको अक्सर होटल में और दवाई बनाने वाली कंपनी ज्यादा यूज करती है मशरूम का ज्यादातर इस्तेमाल चाइनीस खाने में किया जाता है इसके अलावा इसकी मांग विदेशों में भी बहुत है

मशरूम की खेती में लागत कितनी आती है

या खेती पारंपरिक खेती से कुछ अलग होती है या खेती पारंपरिक खेती की तुलना में ज्यादा मुनाफा कमाकर देने वाली खेती होती है मशरूम की खेती में 50000 से लेकर 100000 तक की शुरुआती लागत आ सकती है आपको बता दें कि 1 किलो मसूर 25 से ₹30 में आसानी से उगा सकते हैं वहीं बाजार में बढ़िया क्वालिटी के मशरूम की कीमत लगभग 250 से 300 किलो में मिलती है 

अगर कोई 100 मीटर स्क्वायर सीट में खेती करता है तो इसमें एक लाख से 500000 तक का मुनाफा होता है आजकल लोग इस खेती के माध्यम से लाखों का मुनाफा कर रहे हैं विश्व में मशरूम की खेती हजारों सालों से की जा रही है जबकि भारत में वस्तु के उत्पादन का इतिहास 3 दशक पुराना है 

भारत में 10 12 सालों से मशरूम उत्पादन में लगातार वृद्धि देखी जा रही है इस समय हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र तमिलनाडु कर्नाटक और तेलंगाना में व्यापारिक स्तर पर मशरूम की खेती करने वाले प्रमुख उत्पादक राज्य है

मशरूम कितने तरह के होते हैं

एक्सपर्ट के मुताबिक मशरूम की लगभग 10,000 किस्म है और हमारे धरती पर मौजूद है लेकिन अगर बिजनेस के नजरिए से देखें तो मशरूम की लगभग पांच ही ऐसी किसमें है जिनकी खेती करके जिसे मुनाफा कमाया जा सकता है मशरूम कई तरह के होते हैं लेकिन मशरूम मे बटन मशरूम button mushroom को काफी पसंद किया जाता है

paddy mushroom
specialty mushrum
Medicinal mushrum
Dhingri aor ayster mushrum

यह मासूम कुछ ऐसी है जिसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है और वही सब में से बटन मशरूम को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है इसे कभी-कभी मिल्की मशरूम भी कहा जाता है तो इस तरह से मशरुम की खेती की जाती है

पैडी मशरूम paddy mushroom :-

पैडी मशरूम जिन्हें दूधी मशरूम भी कहा जाता है, एक विशेष प्रजाति के मशरूम होते हैं जो खेती के लिए बड़ी उपयोगिता रखते हैं। ये मशरूम उच्च पोषक तत्वों और प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं और खाद्य संयंत्रों में बड़े पैमाने पर उपयोग होते हैं। यहां पैडी मशरूम की खेती के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में जानकारी है:

पैडी मशरूम की उगाई: पैडी मशरूम की खेती के लिए विशेष प्रकार के मशरूम की उगाई उपयुक्त होती है। इन्हें तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करके विकसित किया जाता है। उगाई की प्रक्रिया में मशरूम के लिए उपयुक्त माध्यम का उपयोग किया जाता है, जिसमें बाल की वस्तुएँ शामिल होती हैं।

तापमान और आर्द्रता: पैडी मशरूम की खेती के लिए उचित तापमान और आर्द्रता का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है। इन मशरूम के लिए आमतौर पर 20-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान और 70-80% की आर्द्रता आवश्यक होती है

खाद्य माध्यम: पैडी मशरुम की खेती में बाल के रूप में उपयोग होने वाले खाद्य माध्यम की गुणवत्ता बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह माध्यम मशरूम के पोषण के लिए महत्वपूर्ण होता है और उसकी गुणवत्ता पर प्रभाव डालता है। बाल के रूप में चावल, गेहूं, मक्का, बेल, धान, जौ, आदि का उपयोग किया जा सकता है।

प्रकाश और हवा: पैडी मशरुम की खेती में उचित प्रकाश और हवा प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। मशरूम के लिए सीधा सूर्य प्रकाश प्राथमिकता होती है, लेकिन अत्यधिक धूप से बचने के लिए धक्का या ताल प्रदान करने की भी जरूरत हो सकती है। साथ ही, मशरूम को अच्छी हवा संचार की आवश्यकता होती है, इसलिए यदि आवश्यक हो तो प्रवाही वेंटिलेशन को भी ध्यान में रखना चाहिए।

बटन मशरूम button mushroom :-

बटन मशरूम , जिसे छोटे मशरूम या अंडाकारी मशरूम भी कहा जाता है, मशरूम की एक प्रमुख विविधता है और यह खेती में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। बटन मशरूम छोटे आकार और सफेद या संदृश्य में गोलाकार बटनों की विशेषता रखता है। यह जल्दी विकसित होता है और आकार के लिए उपयुक्त होता है, जो इसे बाजार में लोकप्रिय बनाता है। बटन मशरूम की खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए, निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान दें:

उगाई: बटन मशरुम की खेती के लिए उचित उगाई या बीजारोपण प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें सामान्यतया धान की बाल का उपयोग किया जाता है। यह धान नियमित और स्वचालित रूप से नमीपूर्ण रखने की आवश्यकता होती है।

उपयुक्त तापमान और आर्द्रता: बटन मशरुम की खेती में उपयुक्त तापमान और आर्द्रता को बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर, बटन मशरूम के लिए तापमान 18-22 डिग्री में रखना चाहिए

प्रकाश और हवा: बटन मशरूम की खेती में उचित प्रकाश और हवा प्रबंधन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। मशरूम के लिए सीधा सूर्य प्रकाश प्राथमिकता होती है, लेकिन अतिरिक्त धूप से बचने के लिए छत या ताल प्रदान करने की भी जरूरत हो सकती है। बटन मशरूम को अच्छी हवा संचार की आवश्यकता होती है, इसलिए प्रवाही वेंटिलेशन को भी ध्यान में रखना चाहिए।

पानी प्रबंधन: बटन मशरूम की खेती में सही प्रकार के पानी की प्रबंधन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अधिक पानी से बचने के लिए सुरंग और धाराप्रवाह सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है। नमीपूर्णता की आवश्यकता के अनुसार, पानी की आपूर्ति और बारीकी संयंत्रित की जा सकती है।

स्पेशियल्टी मशरूम specialty mushrum:-

वे मशरूम होते हैं जो विशेष आकर्षण और मार्केट में अधिक मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। ये मशरूम अधिकतर सामान्य घरेलू मशरूमों से अलग होते हैं, उन्हें विशेष उपयोगिता, स्वाद, आकार, रंग या औषधीय गुणों के कारण महत्वपूर्ण माना जाता है। इन मशरूम के बारे में विभिन्न प्रकार हो सकते हैं जैसे:

ट्रफल मशरूम (Truffle Mushroom): ट्रफल मशरूम एक विशेष प्रकार का संकर और महंगा मशरूम है, जिसे खासकर उन्नत रेस्टोरेंट और खाद्य उद्योग के लिए उपयोग में लाया जाता है। इन मशरूमों को मिट्टी के नीचे पाए जाने वाले वृक्षों के जड़ों के पास पाए जाते हैं। इनका विशेष स्वाद और आकार उन्हें महंगा और अनुमानित कीमत में उन्नत करता है।

मोरेल मशरूम (Morel Mushroom): मोरेल मशरूम एक अनोखी आकार और टेक्स्चर वाला मशरूम है, जिसका उपयोग विभिन्न पकवानों में किया जाता है।

मेडिसिनल मशरूम Medicinal mushrum :-

मेडिसिनल मशरूम , जिन्हें औषधीय मशरूम या चिकित्सीय मशरूम भी कहा जाता है, ऐसे मशरूम हैं जिन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सा और अन्य प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों में उपयोग किया जाता है। ये मशरूम मेडिसिनल गुणों के कारण महत्वपूर्ण माने जाते हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपयोग होते हैं। इसके बारे में कुछ प्रमुख मेडिसिनल मशरूम निम्नलिखित हैं:

शियटेक मशरूम (Shiitake Mushroom): ये मशरूम जापानी मशरूम के रूप में भी जाने जाते हैं और उन्हें उच्च पोषण और औषधीय गुणों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। शियटेक मशरूम का सेवन आंशिक रूप से इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, रक्त शर्करा को नियंत्रित करने, चर्बी को कम करने, हृदय स्वास्थ्य को सुधारने और कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सहायता करने के लिए किया जाता है।

रेशी मशरूम ( reishi mushroom ) :– रेशी मशरूम एक प्राचीन चीनी और जापानी औषधीय मशरूम है जिसे अक्सर “अमृता की अंबरी” या “मूष्रूम ऑफ इमॉर्टलिटी” के नाम से जाना जाता है। इसे चीनी औषधीय पदार्थों का एक प्रमुख तत्व माना जाता है और उसे स्वास्थ्य और वितामिनों के संग्रहण के लिए प्रमुखता से उपयोग किया जाता है।

रेशी मशरूम के कुछ महत्वपूर्ण गुण निम्नलिखित हैं:

इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायता: रेशी मशरूम में मौजूद विशेष तत्व और पोलिसैक्कराइड्स इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ताकत देने और रोगों और संक्रमणों के खिलाफ लड़ाई में मदद कर सकता है।

स्थूलता को कम करने में सहायता: रेशी मशरूम का सेवन मस्तिष्कीय संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे कि तनाव और अवसाद, में सुधार कर सकता है। इसका प्रभाव मानसिक स्थिति को बेहतर करता है

ढींगरी मशरूम (Dhingri Mushroom) :-

एक प्रसिद्ध सब्जीयों के रूप में उपयोग होने वाला छोटा और गोल मशरूम है। यह अपने सफेद रंग, गोलाकार आकार, और उनकी मधुर गंध के लिए प्रसिद्ध है। ढींगरी मशरूम अपने खाद्यतत्वों और गुणों के कारण महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन्हें प्राकृतिक रूप से या किसानों द्वारा खेती के माध्यम से उत्पादित किया जाता है।

ढींगरी मशरूम के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं:

पोषक तत्व: ढींगरी मशरूम में प्रोटीन, विटामिन (सी, डी, बी-कॉम्प्लेक्स), खनिज (कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम) और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनके सेवन से शरीर को उचित पोषण मिलता है और स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिलती है।

पेशेवर स्वाद: ढींगरी मशरूम का स्वाद मधुर होता है और वे खाद्य पकवानों का एक महत्वपूर्ण तत्व बनाते हैं। ये मशरूम सलाद, सब्जी, सूप, और अन्य व्यंजनों में उपयोग किए जाते हैं।

पाचन लाभ: ढींगरी मशरूम में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन को सुधारकर पेट संबंधी समस्याओं, जैसे कि कब्ज और पाचन की कमजोरी, को कम करने में मदद करता है।

वजन नियंत्रण: ढींगरी मशरूम कम कैलोरी और बढ़ी हुई पोषण मान के कारण वजन नियंत्रण में मददगार साबित हो सकते हैं। ये मशरूम उच्च प्रोटीन और ठंडे पानी की मात्रा के कारण भी लंबे समय तक भोजन की भूख को नियंत्रित रखते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट गुण: ढींगरी मशरूम में एंटीऑक्सीडेंट्स प्रमुखता से पाए जाते हैं, जो शरीर को रद्दी में मौजूद हानिकारक रेडिकल्स के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। ये रेडिकल्स संबंधित बीमारियों, जैसे कि हृदय रोग, कैंसर, और अन्य रोगों के विकास में मदद करते हैं।

आपके द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्न

1 प्रश्न :– मशरुम की खेती कब और कैसे की जाती है ?
उत्तर:– भारत में मशरूम की खेती अक्टूबर या नवंबर से फरवरी से मार्च तक की जाती है ! भारत में कई किसान एसी की मदद से साल भर मशरूम की खेती करते हैं

(2) प्रश्न :– मशरुम कितने दिन में तैयार हो जाता है ?
उत्तर:– मशरूम के बीज लगाने के बाद करीब 45 दिन में ही ये कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं

(3) प्रश्न :- मशरुम की खेती से कमाई कैसे करें?
उत्तर:–सालभर में सिर्फ एक कमरे में 3 से 4 लाख रुपए की इनकम आसानी से हो सकती है वह भी सिर्फ 50 से 60 हजार रुपए खर्च करने के बाद।

(4) प्रश्न :–मशरूम की रेट क्या है?
उत्तर:–मशरूम का औसत मूल्य ₹8750/क्विंटल है। सबसे कम बाजार की कीमत ₹3500/क्विंटल है। सबसे उच्च बाजार की कीमत ₹14000/क्विंटल है।

(5) प्रश्न :– मशरूम की खाद कैसे बनाते हैं?
उत्तर:– गाय की खाद और पुआल मिलाएं ।

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