वैभव लक्ष्मी व्रत विधि

|| वैभव लक्ष्मी व्रत विधि (Vebhav Laxmi Vrat Vidhi) ||

वैभव लक्ष्मी व्रत एक प्रसिद्ध हिन्दू व्रत है जो माता लक्ष्मी की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत साल में एक या दो बार रखा जाता है और मुख्य रूप से अक्टूबर और नवंबर माह में मनाया जाता है। इस व्रत के द्वारा भक्त धन, संपत्ति, ऐश्वर्य और धनवान जीवन की कामना करते हैं। यहां वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि हिंदी में दी गई है।

                                          || व्रत की तैयारी ||

सुबह सवेरे उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र पहनें और वैभव लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
एक सुविधाजनक स्थान चुनें जहां आप व्रत कर सकते हैं। उस स्थान को पूर्व दिशा की ओर रखें और उस पर रंगों या रंगीन पट्टियों से सजाएँ।

व्रत के लिए पुराने पुस्तकों और वस्तुओं को निकाल दें, ताकि आपको अवर्ती विचारों से बचा रहेगा।

 

                             || पूजा विधि:||

 

वैभव लक्ष्मी व्रत विधि

• पूजा का समय सुबह 7 बजे या शाम 7 बजे चुनें।


• पूजा के लिए लक्ष्मी पूजन सामग्री जैसे कि लक्ष्मी मूर्ति, लक्ष्मी के प्रतिमान, कलश, गंध, दीप, अखंड दिया, सुपारी, पान, इलायची, बताशे, घी, चावल, मिश्री, नारियल, पुष्प, धूप, आरती की थाली, चौकी, आसन आदि को तैयार करें।


• पूजा शुरू करने से पहले व्रत कथा को एकांत में पढ़ें या सुनें।


• पूजा शुरू करें। लक्ष्मी मूर्ति को सुंदर वस्त्र पहनाएँ और उसे सजाएं।


• दीपक को जलाएं और घी, धूप, अखंड दिया और गंध के चढ़ाव करें।


• वैभव लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें। आप मंत्रों को अपनी भाषा में भी जप सकते हैं।


• पूजा के बाद माता लक्ष्मी की आरती करें और पुष्प चढ़ाएँ।


• व्रत कथा को पुनः पढ़ें और पूजा को समाप्त करें।

 

                                   || व्रत का उपवास ||

 

व्रत के दिन निराहार उपवास करें।सामान्य दिनों की तुलना में व्रत के दिन भोजन कम करें। फल, सब्जी, दूध, दही, मिठाई और नामकीन खाने से बचें।
व्रत के दौरान विशेष भोजन उपयोग करें जैसे कि साबूदाना खिचड़ी, कुट्टू के आटे की रोटी, फल, दूध, पनीर, मक्खन, चीनी, सबूत दाल, आदि।
व्रत के दौरान अपने मन, वचन और कर्मों का प्रशासन करें और ईश्वर की आराधना में विश्वास रखें। वैभव लक्ष्मी व्रत की विधि को सम्पूर्ण आदर्शता से और नियमित रूप से अपनाएं ताकि आप अधिकार्य और आध्यात्मिक उन्नति में आगे बढ़ सकें।

|| वैभव लक्ष्मी व्रत कथा (vaibhav laxmi vrat katha) ||

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा

एक समय की बात है, राजगद्दी में एक राजा थे जिनका नाम धनराज था। धनराज एक धार्मिक और न्यायप्रिय राजा थे, जिन्हें अपने राज्य की गरिमा और प्रगति के लिए धन और समृद्धि की बहुत आवश्यकता थी। धनराज ने वैभव लक्ष्मी व्रत के बारे में सुना और उसकी कथा के विषय में अध्ययन करने लगे।

एक दिन, धनराज के समक्ष भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी प्रकट हुए और उन्होंने उन्हें वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व समझाया। इस व्रत के माध्यम से, लक्ष्मी माता अपने भक्तों को धन, समृद्धि, और सौभाग्य की प्रदान करती हैं। वे धनराज को व्रत का पालन करने की सलाह दी और उन्हें विधिवत व्रत मनाने का उपदेश दिया।

धनराज ने लक्ष्मी माता के आदेश का पालन करते हुए वैभव लक्ष्मी व्रत मनाने का निर्णय लिया। उन्होंने व्रत की तैयारियाँ की और व्रत के नियमों को पालन करने का संकल्प लिया। धनराज ने विशेष रूप से शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का चयन किया, जो व्रत के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।

व्रत के दिन, धनराज ने प्रातःकाल में स्नान किया और पवित्र वस्त्र धारण करके वैभव लक्ष्मी मंदिर में जाकर पूजा की। उन्होंने लक्ष्मी माता के आदेश के अनुसार व्रत कथा को पढ़ना शुरू किया, जिसमें उन्होंने लक्ष्मी माता की कृपा के बारे में और उनकी पूजा करने के लाभों के बारे में जाना। धनराज ने मन से लक्ष्मी माता की आराधना की और भक्ति भाव से उन्हें प्रणाम किया।

व्रत के अंत में, धनराज को अचानक ही व्यापार में बड़ी सफलता मिली। उनके राज्य में आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और सभी दुर्भाग्यों से मुक्ति हो गई। उनका घर धनवान बन गया और सभी सुखों से भर गया। धनराज बहुत खुश थे कि उन्होंने वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन किया और उन्हें ऐसा अद्भुत फल प्राप्त हुआ।

धनराज की इस सफलता और धन की समृद्धि ने उन्हें समझाया कि लक्ष्मी माता का व्रत एक महत्वपूर्ण उपाय है जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति में सहायता करता है। धनराज ने अपनी धर्मपत्नी रानी को भी वैभव लक्ष्मी व्रत करने की सलाह दी और उन्हें व्रत के नियमों और विधियों के बारे में बताया।

धीरे-धीरे, धर्मपत्नी रानी ने भी वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन किया और उन्हें भी धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हुई। उनके परिवार में खुशहाली और समृद्धि छाई गई और उन्होंने अपने जीवन को आनंदमय बना लिया।

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा के माध्यम से हमें यह सिख मिलती है कि व्रत के द्वारा हम अपने जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य को आमंत्रित कर सकते हैं। यह व्रत हमें धार्मिक और नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है और हमें दान, सेवा, और समाज के प्रति जिम्मेदारी के प्रतीक्षा करता है। इसलिए, हमें वैभव लक्ष्मी व्रत को मनाने में निरंतरता और विश्वास रखना चाहिए ताकि हमारे जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति हो सके।

धनराज और धर्मपत्नी रानी के प्रतीक्षा के अनुसार, वैभव लक्ष्मी व्रत का पालन करने से आप भी आपके जीवन में आनंद, समृद्धि और सौभाग्य को आमंत्रित कर सकते हैं। इस व्रत को मान्यता और समर्थन के साथ मनाएं और विधिवत नियमों का पालन करें। आपके जीवन में धन, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होने की कामना करते हैं।

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ध्यान दें :- यह एक सारांश है और वैभव लक्ष्मी व्रत की मूल कथा में अन्य विवरण भी हो सकते हैं। आपको अपने धार्मिक गुरु या पुजारी से संपर्क करके व्रत की पूर्ण कथा को समझने की सलाह दी जाती है।

 

 

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