हल्दी की खेती
हल्दी हमारे देश के मसाला फसलों में से एक प्रमुख मसाला फसल है जो आयुर्वेद में महत्व रखती है हल्दी के लिए सबसे पहले जमीन तरीकों को तैयार करना होता है
जलवायु
हल्दी की खेती के लिए नाम और शुद्ध जलवायु बहुत ही ज्यादा शौक नहीं है ज्यादा टेंपरेचर पर हल्दी की खेती नहीं हो पाती है और बहुत ज्यादा ठंडा हो वहां भी हल्दी की खेती नहीं हो पाती है अगर 50 वर्षों में 2 और 50 परसेंट छाया है तो उसमें हल्दी की खेती बहुत अच्छे से हो जाएगी
कंद के अंकुरण के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान होना बहुत जरूरी है और उसके बाद जो उसका विकास होता है तो 18 से 20 परसेंट तापमान बहुत जरूरी है
भूमि का चयन
हल्दी की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत को भुरभुरी मिट्टी कर लेना बहुत जरूरी होता है और मिट्टी तैयार हो जाओ उसके बाद मिट्टी में सड़ा हुआ गोबर का खाद मिट्टी में मिला करके एक क्यारी बना लेना चाहिए
हल्दी की खेती हर प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है इसके लिए मिट्टी की वैल्यू 7.5 ph होनी अच्छी होती है लेकिन हल्दी रेतीली मिट्टी में बहुत अच्छी तरीके से होती है और दोमट मिट्टी में भी बहुत अच्छा होता है हर जगह हल्दी की खेती कर सकते हो आप हल्दी को अपने घर के गमले में भी होगा आ सकते हो
खेत की तैयारी
हल्दी के लिए खेत की गहरी जुताई करना बहुत ज्यादा जरूरी होती है कंद वाली फसलों में इसके लिए आप गहरी जुताई करते हैं तो कंद जमीन में बैठता है इससे आपको ऊपर अच्छी मिलती है अगर आपको हल्दी की खेती 1 एकड़ में लगाना है तो तो आपको 1 एकड़ खेत में कम से कम 10 से 12 टन सड़े हुए गोबर की खाद आपको खेत में मिलाना है
गोबर की खाद को डालने के बाद खेत की जुताई अच्छे तरीके से कर देनी चाहिए हाथ को मिलाने के लिए तीन से चार बार खेत की जुताई करना बहुत जरूरी होता है ताकि जो गोबर का खाद है वह खेत में अच्छी तरीके से मिल जाए
बुवाई का समय
हल्दी की खेती के लिए बुवाई का सही समय अप्रैल और मई यह दोनों समय में आप हल्दी की खेती बहुत अच्छे से कर सकते हैं लेकिन लोग हल्दी की खेती जून और जुलाई के महीने में भी हल्दी की खेती कर लेते हैं और उसमें भी अत्यधिक उपज होती है कारण यह है कि आप जैविक खेती करेंगे हल्दी के लिए बहुत ही शुभ टेबल होती है और उसने ऊपर बहुत अधिक मात्रा में मिलती है
बुवाई की विधियां
हल्दी की खेती कई प्रकार से की जा सकती है हल्दी की खेती क्यारी बनाकर भी कि जा सकती है क्यारी बनाने के बाद उसे मेड बनाकर भी लगा सकते हैं उसके बाद इसे समतल खेत पर भी बिखेर कर लगा सकते हैं इसमें कोई दिक्कत नहीं होती है अगर आप मेड बनाकर लगा रहे हैं तो एक पत्ती से दूसरे पत्ती के बीच 30 से 35 सेंटीमीटर की दूरी रखना चाहिए और उसके बाद एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रख सकते हैं अगर आप समतल खेत में लगाते हैं यही प्रोसेस उसमें भी अप्लाई करना है
बीज उपचार
हल्दी मैं बीज उपचार करना बहुत ही ज्यादा जरूरी होती है अगर बीज उपचार नहीं करेंगे तो मिट्टी जनिक से रोग होते हैं उससे बीज को नुकसान पहुंचता है
खेत की जुताई के टाइम आपको सड़े हुए गोबर का खाद तो उपयोग में करना ही है उसके बाद अगर आपको वर्मी कंपोस्ट मिल जाता है केंचुए की खाद मिल जाता है तो कम से कम 1.5 से 200 केजी आप 1 एकड़ में वर्मी कंपोस्ट या केंचुए की खाद का उपयोग जरूर करें
खेतों में कोई भी फसल लगाने से पहले आपको अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर कर लेनी चाहिए अगर एक परसेंट कार्बन आपकी मिट्टी में रहेगा तो क्या हल्दी की खेती के लिए बहुत उपयुक्त मिट्टी है इसमें हल्दी की खेती बहुत प्रचुर मात्रा में होगी
सिंचाई
हल्दी में सिंचाई मिट्टी पर निर्भर करती है अगर रेतीली मिट्टी में हल्दी की खेती की है तो तो रेतीली मिट्टी में सिंचाई बहुत ज्यादा लगती है और उसके बाद यह तो दोमट मिट्टी में किया हुआ है तो इसमें से सिंचाई कम लगती है अगर दोमट मिट्टी में 10 से 15 बार सिंचाई लगती है तो रेतीली मिट्टी में जस्ट डबल 25 से 30 बार सिंचाई करने की जरूरत होगी
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