कृष्ण जन्माष्टमी

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खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा?

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कृष्ण जन्माष्टमी

खीरे का महत्व

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न्म के समय जिस तरह बच्चे को गर्भनाल काटकर गर्भाशय से अलग किया जाता है, ठीक उसी प्रकार जन्मोत्सव के समय खीरे की डंठल को काटकर कान्हा का जन्म कराने की परंपरा है

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जन्माष्टमी पर खीरा काटने का मतलब है बाल गोपाल को मां देवकी के गर्भ से अलग करना.

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डंठल को काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है

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ऐसे करें नाल छेदन

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जन्माष्टमी के दिन खीरे को काटने की प्रक्रिया को नाल छेदन कहा जाता है।

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इस दिन खीरे को भगवान कृष्ण के पास रख दें

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रात में जैसे ही 12 बजे यानी भगवान कृष्ण का जन्म हो

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उसके तुरंत बाद एक सिक्के की मदद से खीरा और डंठल को बीच से काट दें।

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वहीं कान्हा के जन्म के बाद शंख जरूर बजाएं।